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आजकल के शिक्षक अद्यापन की नहीं भत्ते की अधिक सोचते हैं – हिमंत

गुवाहाटी

शिक्षा मंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि आजकल के शिक्षक अद्यापन की नहीं बल्कि भत्ते की अधिक सोचते हैं| हाल ही में शिक्षकों को सार्वजनिक तौर पर सवालों से घेरकर विवादों में घिरे हिमंत का यह ताजा बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले दिनों उनके बयान को लेकर राज्य का शिक्षक समाज उनसे खफा है|

अखिल आदिवासी छात्र संघ(आसा) के एक समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री हिमंत ने पूर्व के अपने विवादित बयान की सफाई देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहले के शिक्षकों और आजकल के शिक्षकों में काफी अंतर है| पहले के शिक्षक अपने विद्यार्थियों के विकास की अधिक सोचते थे, इसलिए समाज में शिक्षकों का सम्मान ही अलग हुआ करता था| आजकल के शिक्षक, सरकारी कर्मचारी हैं| इसलिए शिक्षा विभाग के मंत्री होने के नाते वे उनकी जवाबदेही से संबंधित बातें पूछ सकते हैं| इसमें कोई गलती नहीं है|

शिक्षा मंत्री ने इस दौरान कुछ घोषणाएं भी की| उन्होंने कहा कि चाय जनगोष्ठी अंचलों के विकास के लिए सरकार की ओर से अधिक पूंजी दी जाएगी| चिकित्सा महाविद्यालयों में इस समुदाय के विद्यार्थियों के लिए 18 सीटें बढ़ा दी गई हैं| इसके अलावा शिक्षा विभाग ने चाय बागान अंचलों में शिक्षा को सर्वोपरि बनाने के उद्देश्य से नए उच्च विद्यालय खोलने का लक्ष्य रखा है ताकि चाय बागान इलाकों में बच्चे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिक अग्रसर हो सकें|

शिक्षा मंत्री ने विधानसभा के आगामी सत्र में राज्य के चाय जनगोष्ठियों के विकास के मुद्दे पर विशेष रूप से दो दिवसीय चर्चा की व्यवस्था करने की बात कही है| उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले साल से हायर सेकेंडरी के विद्यार्थियों के लिए भी सरकार निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें देने जा रही है|

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